Sunday, September 8, 2024
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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला:कॉल रिकॉर्ड करने वाले के लिए हो सकती है दो साल की सजा

बिलासपुर – छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें सबूत के तौर पर रिकार्डिंग को पेश करने की इजाजत दी गई थी. हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता पत्नी से हुई बातचीत को उनकी जानकारी के ने चुपचाप रिकॉर्ड कर लिया. यह कारगुजारी संवैधानिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है

जानिए क्या है पूरा मामला

यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का है.यहां पत्नी ने फैमिली कोर्ट में पति से गुजारा भत्ता दिलाने के लिए आवेदन किया था जिसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में पत्नी की बातचीत की रिकार्डिंग करने और उसे कोर्ट में साक्ष्य के रूप में पेश करने की मंजूरी मांगी थी. पति ने पत्नी के चरित्र पर भी आरोप लगाया था. पति की इस मांग को फैमिली कोर्ट ने स्वीकार करते हुए रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के तौर पर लिया.फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

जानिए क्या है कानून?

यदि अगर किसी की इजाजत के बिना मोबाइल या फोन रिकॉर्ड की जाती है तो वह आईटी एक्ट-2000 की धारा 72 का उल्लंघन है.इसके तहत किसी भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिए व्यक्ति की मंजूरी के बिना उससे जुड़ी सूचना, दस्तावेज या अन्य सामग्री हासिल करना और उसे उसकी मंजूरी या जानकारी के बिना सार्वजनिक करना धारा-72 का उल्लंघन है. इसके तहत दो साल की सजा और एक लाख जुर्माने का प्रावधान है.

आईटी एक्ट की धारा 72 के तहत कार्रवाई हो सकती है कार्रवाई
अब फोन पर किसी के कॉल को रिकॉर्ड करना महंगा पड़ सकता है। यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इसके लिए आपके खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 72 के तहत कार्रवाई हो सकती है।

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