दो दिनों के अंदर बीजेपी का कर्नाटक में जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) से गठबंधन हुआ और तमिलनाडु में एआईएडीएमके से नाता टूट गया.
लेकिन इन सबके बीच एक सवाल सत्ता के गलियारे में तैर रहा है कि क्या तमिलनाडु में एआईएडीएमके से संबंध टूटने से केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी को कोई ख़ास फ़र्क पड़ेगा.
इस सवाल की वजह ये है कि 2019 में जब औपचारिक गठबंधन हुआ उससे पहले से एआईएडीएमके का बीजेपी के प्रति सहयोगात्मक रवैया जगजाहिर रहा है.
अंतिम इस सफलता से अगले साल पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए क्वालिफाई करने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बन गई हैं.
ख़ासकर राज्यसभा में, जहां कुछ दिन पहले तक बीजेपी का बहुमत नहीं था और बहुत ज़रूरी विधेयकों को पास करने में उसे सहयोग की ज़रूरत थी.
लेकिन तमिलनाडु में गठबंधन को खटाई में डालने का काम किसी और ने नहीं बल्कि खुद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने किया. वो न केवल एआईएडीएमके के नेतृत्व के आलोचक थे बल्कि उन्होंने सीएन अन्नादुरै के आइकन को निशाना बनाने का एक भी मौका नहीं छोड़ा.