चातुर्मास महामहोत्सव का आयोजन, स्वामी आत्मानंद बोले- आध्यात्म के बिना राजनीति संभव नहीं.
राजनांदगांव- छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के सांकरदाहरा में चातुर्मास महामहोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 18 जुलाई से शुरू हुआ था और 28 सिंतबर तक जारी रहेगा। इस दौरान जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती जी महाराज के सान्निध्य में प्रवचन, रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय रुद्र महायज्ञ किया जा रहा है। चातुर्मास के समापन के अवसर पर 30 सितम्बर को विशाल राष्ट्रीय सन्त सम्मेलन और किसान मिलन समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस सम्मेलन में देश भर के सन्त सांकरदाहरा पहुंचेंगे। साथ ही प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
दरअसल, जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि बीते साल बालोद में चातुर्मास का आयोन किया गया था। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आग्रह किया कि छत्तीसगढ़ में दोबारा चातुर्मास कार्यक्रम का आयोजन किया जाना चाहिए। इस पर क्षेत्रवासियों की आस्था, भक्ति और सहयोग के कारण चातुर्मास का आयोजन एक बार फिर किया गया। इस विशाल आयोजन की व्यवस्था के लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, राजनांदगांव के प्रशासक नवाज खान के सहयोग से सांकरदाहरा में चातुर्मास का आयोजन हो पाया है।
आध्यत्म और राजनीति एक दूसरे के पूरक
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि बिना आध्यात्म के राजनीति संभव नहीं है और राजनीति के बिना आध्यात्म संभव नहीं है। पुरातन काल में भी सभी राजाओं के राजगुरु होते थे। सन्त को राजनीति नहीं करना चाहिए पर राजनीति में पूरा नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए। ताकी शासक पथभ्रष्ट न हो। शास्त्रों में भी कहा गया है कि साधु को राजनेता का मार्गदर्शन करना चाहिए।
हिन्दू राष्ट्र की मांग नहीं
शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद ने कहा कि, हिन्दू और हिंदुत्व को लेकर हमारा मत स्पष्ट है। हमें किसी भी धर्म विशेष का राष्ट्र नहीं चाहिए। हमें एक सशक्त, विकसित, सम्पन्न और संप्रभुता से परिपूर्ण भारत चाहिए। जहां लोगों के जीवन में खुशियां हो, रोजगार हो, देश समृद्धिशाली और शक्तिशाली होना चाहिए।