Saturday, July 27, 2024
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छत्तीसगढ़ की बिजली से रोशन हाे रहे दूसरे राज्य

रायपुर – छत्तीसगढ़ की बिजली से दूसरे राज्य भी अब राेशन हाे रहे हैं। दरअसल  प्रदेश में बिजली में खपत ठंड की वजह से दो से ढाई हजार मेगावाट तक कम हो गई है। ऐसा होने से अब पॉवर कंपनी के पास सरप्लस बिजली हो गई है। इस बिजली को दूसरे राज्यों को बेचने का काम किया जा रहा है। रोज सात से आठ करोड़ की बिजली बेच रहे हैं। बिजली की खपत इस समय साढ़े तीन हजार मेगावाट के आस-पास है। कभी खपत चार हजार मेगावाट तक भी जा रही है। दो माह पहले खपत ने रिकॉर्ड बनाया था और खपत छह हजार मेगावाट के पार हो गई थी।प्रदेश में मानसून के बीच में ही बिजली की खपत का अगस्त और सितंबर में रिकॉर्ड बना। अब ठंड की दस्तक के साथ ही बिजली की खपत में ठंडक आ गई है। ऐसे में ज्यादा खपत न होने के कारण त्योहारी सीजन में बिजली कटौती नहीं करनी पड़ी है। प्रदेश में जो खपत 61 सौ मेगावाट के पार हो गई थी, वह अब चार हजार मेगावाट से कम हो गई है। पीक आवर में खपत कभी कभार ही चार हजार मेगावाट तक जा पा रही है।

ठंड से पहले बना रिकॉर्ड
मानसून की बेरुखी के कारण बिजली की खपत ने अगस्त और सितंबर में खपत का नया रिकॉर्ड बनाया। देश में मौसम के तेवर लगातार बदलने के कारण बिजली की खपत का ग्राफ ऊपर-नीचे होता रहा। अगस्त का माह बड़े रिकॉर्ड वाला रहा। पहले खपत आधी हो गई इसके बाद खपत ने गर्मी से भी ज्यादा खपत का नया रिकॉर्ड बना दिया। गर्मी में इस बार अप्रैल में खपत 5878 मेगावाट तक गई थी, इस रिकॉर्ड को ब्रेक करके 17 अगस्त को 5892 मेगावाट का नया रिकॉर्ड बना। इसके बाद खपत कम ज्यादा होती रही। बारिश में ब्रेक लगने के कारण अगस्त के अंत से खपत फिर बढ़ने लगी और सितंबर के पहले ही दिन खपत ने एक नया रिकॉर्ड बना दिया। इस दिन खपत 6114 मेगावाट तक चली गई। इसके बाद अक्टूबर में भी खपत पांच हजार मेगावाट से ज्यादा रही, लेकिन अब नवंबर में लगातार ठंड होने के कारण खपत भी लगातार कम हो रही है। अब तो कई बार दिन में खपत तीन हजार मेगावाट से कम और पीक आवर में साढ़े तीन हजार मेगावाट तक जा रही है।

अब बेच रहे बिजली
आमतौर पर प्रदेश में बिजली की खपत ज्यादा होने पर सेंट्रल सेक्टर से ज्यादा बिजली ली जाती है। सेंट्रल सेक्टर का शेयर पहले साढ़े तीन हजार मेगावाट था, लेकिन अब यह कम हो गया है। इस समय यह शेयर तीन हजार मेगावाट से भी कम है। आने वाले दिन के लिए एक दिन पहले से शेड्यूल तय करना पड़ता है। तय दिन खपत कम होने पर इस बिजली को तत्काल बेचने की भी व्यवस्था की जा रही है। इसी के साथ अपनी बिजली ज्यादा होने पर उसे रोज दूसरे राज्यों को बेचा जा रहा है। इसमें यह भी देखा जाता है कि दूसरे राज्यों को बिजली बेचने से फायदा है या नहीं, अगर फायदा नहीं दिखता है तो सेंट्रल सेक्टर में बिजली वापस भी कर दी जाती है, ताकि ज्यादा नुकसान न हो।

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